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आलेख-
शीर्षक-
राष्ट्रवाद की जबतक अनदेखी होती रहेगी,
तबतक देश में गैरज़रूरी विवाद होते रहेंगे।

लेखिका- सुनीता कुमारी
बिहार

लोकतंत्र का पहला नियम राष्ट्रवाद है, जो प्रत्येक व्यक्ति पर लागू होता है। प्रत्येक व्यक्ति का पहला धर्म राष्ट्रवाद ही है उसके बाद ही कोई अन्य धर्म है ।प्रत्येक व्यक्ति पहले देशहित के लिए देशधर्म का पालन करे देशभक्त बने उसके बाद ही हिन्दु ,मुस्लिम ,सिक्ख या ईसाई बने।
जबतक इस भावना को देश का प्रत्येक व्यक्ति समझ नहीं लेता है, अपने हर निजी नियम और स्वतंत्रा से पहले राष्ट्रवाद को नहीं रखता है तबतक लोकतंत्र की सफलता पर प्रश्नचिन्ह लगा रहेगा। देश की शांति ,सुरक्षा और विकास पर प्रश्न चिह्न लगा रहेगा।आए दिन विवाद होते रहेगें। देश राजनीतिक अस्थिरता या राजनीतिक तानाशाही का शिकार होता रहेगा। राष्ट्रवाद की भावना के अभाव में आम लोग धर्म, आरक्षण ,जातिवाद, क्षेत्रवाद, समुदायवाद को मोहरा बनाकर देश का नुकसान करते रहेगें, खुद का ही नुकसान करते रहेगें।
जबतक देश का प्रत्येक व्यक्ति अपनी निजी अवधारणा की जगह देश को महत्व नहीं देगा, राष्ट्र को महत्व नहीं देगा तबतक दिखावे के लिए गणतंत्र दिवस समारोह और स्वतंत्रता दिवस समारोह में राष्ट्रगान गाना फिजूल है।
चाहे देश धर्मनिरपेक्ष हो, समाजवादी हो, नागरिक समानता का पक्षधर हो , इन सब के बावजूद भी सबसे पहले अगर कुछ जरूरी है तो वह है राष्ट्रवाद की भावना से देश के प्रत्येक नागरिक को सराबोर होना।
तभी देश में समुचित विकास होगा।
प्रत्येक व्यक्ति के दिमाग में यह बात कूट-कूट कर भरी होनी चाहिए कि, कोई भी व्यक्ति हिंदू या मुस्लिम सिख या ईसाई बाद में है सबसे पहले राष्ट्रवादी है, हर धर्म का नियम राष्ट्रवाद के नियम के बाद ही है। राष्ट्रधर्म हर व्यक्ति के लिए पहला धर्म होना जरूरी है। उसके बाद देश का विकास , रोजगार ,गरीबी ,भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं को देश से हटाया जा सकता है। देश का विकास करने की जिम्मेदारी प्रत्येक व्यक्ति पर है उसके बाद ही धर्म के नियम तथा अन्य सामाजिक नियम है क्योंकि हर इंसान के लिए रोटी कपड़ा और मकान पहले आता है और इन सब जरूरतों की पूर्ति
देश की सुरक्षा के बाद ही सही से पूरी हो सकती होती है।
वर्तमान में जो देश की स्थिति है,चारों तरफ हिजाब का मामला जोर पकड़ा हुआ है ,चारों ओर मिडिया सोशल मिडिया समाचार पत्र सबमें हिजाब को लेकर ही समाचार प्रसारित हो रहे है । जिससे देश भर में कितने ही कॉलेज में पढ़ाई बाधित है। जितने लोग उतनी बातें हो रही है।आम जनता से लेकर तमाम नेतागण अलग-अलग बयान दे रहे है, इन सब में कुछ गौण है तो वह समाज के नियम, समानता का भाव एवं राष्ट्रवाद की भावना।
क्या महज मनमाफिक कपड़े पहनने से देश का विकास हो जाएगा ? वैसे ही हमारे देश में शिक्षा की जो व्यवस्था है, वह संतोषजनक नहीं है। अंग्रेजों की शिक्षा नीति की बैसाखी पर शिक्षा वैसे ही कमजोर स्थिति में है। स्वरोजगार ,व्यवसाय एवं कृषि के विकास की जगह युवा सरकारी नौकरी को बेहतर समझते है।अंग्रेज की वैशाखी पर देश की शिक्षा नीति के कारण बेरोजगारी समस्या ज्यादा है ।
लोगों का वर्तमान शिक्षा से झुकाव सिर्फ और सिर्फ सरकारी नौकरी को पाना है,जबकि इसके अलावा भी रोजगार के बहुत सारे साधन है।कृषि जनित उद्योग ,लघु उद्योग ,तरह-तरह के व्यवसाय आदि बहुत सारे साधन है जहां युवा धन कमा सकते हैं और देश का विकास कर सकते हैं हमारे देश में नेतागण भी इस दिशा में पूरे के पूरे उदासीन ही पड़े हुए हैं । राजनीति से जुड़े सारे लोग लोगों को जरा सा भी इस परिस्थिति का अंदाजा नहीं है कि ,आज जो शिक्षा व्यवस्था है वह देश को सही दिशा नहीं दे पा रही है बेरोजगारों की भीड़ जमा हो रही है। इस परिस्थिति में शिक्षा के मंदिर में ही तमाशा कराया रहा है।
आज के समय में पूरा देश राष्ट्रवाद, समानता सामाजिकता, नैतिकता की बात छोड़ कर कपड़ों पर विवाद कर रहा है ,जो कहीं भी किसी भी तरह से सही नहीं है। यह माना कि धार्मिक स्वतंत्रता आवश्यक है परंतु धार्मिक स्वतंत्रता के भी नियम और वसूल है आप सार्वजनिक स्थान पर जहां समानता की बात होती है, देशभक्ति की बात होती है ,वहां पर कोई एक व्यक्ति भी निजी स्वतंत्र नहीं है ।उसे देश के नियम संविधान के नियम समाज के नियम नैतिक नियम के अनुसार ही चलने होंगे ।
परंतु हमारे देश में ऐसा नहीं है सारे लोग ववैसे गैरजरूरी विवाद के पीछे पड़े हुए हैं ,जिससे
देश में 1% भी विकास या अन्य समस्या दूर ही हो सकती है ।वर्तमान में जो देश का सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य है ,इससे एक बात स्पष्ट है कि यह भविष्य के लिए चिंताजनक है ।
समुदायवाद को बढ़ावा मिल रहा है ।
अगर देश में राष्ट्रवाद की भावना को ना बढ़ाया गया तो भविष्य में देश विभाजन जैसी अन्य समस्याओं का सामना देश को कर सकता ना पड़ सकता है। क्योंकि राष्ट्रवाद का दमन करके राष्ट्रवाद की अनदेखी करके किसी भी देश का विकास संभव नहीं है ,ना ही सुरक्षा संभव है।
हिजाब विवाद में जहां सारे नेतागण को इस पक्ष में एक जैसी संवैधानिक नियम एवं राष्ट्रवाद के नियम समानता के नियम को लेकर बयान देना चाहिए था , वहीं सारे नेता अलग-अलग बयान देकर राजनीति रोटी सेक रहे हैं ?”अल्लाह हु अकबर”बोलने वाली लड़की को इनाम दिया जा रहा है,देश का भावी प्रधानमंत्री बताया जा रहा है।क्या “अल्लाह हु अकबर” बोलने से ही देश की तमाम तरह की समस्याएं समाप्त हो जाएगी?
अगर ऐसा चलता रहा तो भविष्य में कई अन्य समस्याएं
देश में सर उठाकर आंदोलन करती रहेंगी ।देश के अंदर फूट पढ़ता रहेगा समुदाय वाद को बढ़ावा मिलता रहेगा धर्म के नाम पर झगड़े होते रहेंगे।
लोकतंत्र में पहला धर्म राष्ट्रवाद है उसके बाद ही कोई नियम , कोई कानून या कोई संविधान है ।
राष्ट्रवाद नहीं तो लोकतंत्र नहीं। परंतु हमारे देश में राष्ट्रवाद का ही हनन होता रहा होता रहता है ।कोई भी नेता कोई भी संघ राष्ट्रवाद के नियमों को संविधान के नियमों को देखकर बयानबाजी करते ही नहीं हैं।
हमारे देश में वैसे हर आंदोलन का बहिष्कार होना चाहिए जो संविधान के नियम के विरुद्ध हो समानता के नियम के विरुद्ध हो।
हर व्यक्ति स्वतंत्र है परंतु वह अपनी निजी जिंदगी में स्वतंत्र है ।अपनी निजी जिंदगी में वह हर कार्य करने के लिए स्वतंत्र है जो वह करना चाहता है, परंतु समाज और देश के नियम के अनुसार व्यक्ति स्वतंत्र नहीं है। समाज में जो समानता का नियम है उसे बरकरार रखना जरूरी है ।अन्यथा एक ही समाज में अलग-अलग समुदाय अलग-अलग तरह के लोग विवाद करते रहेंगे, और देश विवाद में ही फंसा रहेगा जैसे अभी हो रहा है। सबसे ज्यादा जरूरी है कि,राष्ट्रवाद को बढ़ावा देकर लोगों में जागरूकता फैलाई जाए ।वैसे हर संस्थाओं को विवाद की जगह न बनाया जाए, जहां समानता का नियम लागू है ।संविधानिक नियम लागू है। स्कूल कॉलेज , प्रत्येक सरकारी संस्थान में कोई किसी भी धर्म को लेकर किसी तरह का विवाद नहीं होना चाहिए। क्योंकि यह देश धर्मनिरपेक्ष है।
हर किसी का हक बराबर है ,हर किसी को आजादी है परतु,कोई एक समुदाय दूसरे समुदाय समुदाय पर हावी नहीं हो सकता और ना ही अपना निजी नियम देश और समाज पर थोप सकता है ।
राष्ट्रवाद का दमन किया जाएगा तो देश में दंगा फसाद और गैरजरूरी आंदोलन का शिकार होकर आगे बढ़ने की अपेक्षा पीछे की ओर से खिसकता जाएगा ।
यह देश के लिए हानिकारक है । राष्ट्रवाद को बढ़ावा देना चाहिए, हर एक व्यक्ति को लोकतंत्र में पहले राष्ट्रवादी होना चाहिए।
जय हिंद ।।।


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