कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय बुद्ध धम्म चक्कपवतन दिवश पर आयोजित कार्यक्रम
न्यूज सबकी पसन्द। मोहन वर्मा
कुशीनगर जिले में आज धम्मचक्कपवत्तन दिवस है । इस पावन दिवस पर आयोजित व्र्बिनार कि अध्यक्षता करते हुए विपश्यना विशोधन विन्यास, इगतपुरी (महाराष्ट्र) के प्रो. अंगराज चौधरी ने कहा कि भगवान् बुद्ध का धम्म ही चक्र है । इस धम्म रूपी चक्र को सदैव घुमाते रहना चाहिए । भगवान् के सद्धर्म को जीवन में उतार कर न केवल अपना कल्याण कर सकते है, बल्कि पूरा समाज इससे सम्मानित होगा । तथागत का उपदेश सार्वकालिक तथा सार्वदेशिक है ।
मुख्य अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो ने कहा कि आज संसार को युद्ध नहीं बल्कि बुद्ध की आवश्यकता है तभी विश्व में सुख-शांति की स्थापना हो सकती है ।
बीज वक्तव्य देते हुए सोसायटी के महासचिव तथा सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के श्रमण विद्या संकायाध्यक्ष प्रो. रमेश प्रसाद ने वेबिनार के माध्यम से देश में पालि भाषा एवं साहित्य के प्रचार-प्रसार हेतु लोगों को आने हेतु आह्वान किया । उन्होंने अपने उदोवोधन में कहा कि भगवान् बुद्ध एक व्यावहारिक उपदेशक थे । उनके उपदेश का विषय बिंदु मानव है । मानव दुःख को नष्ट करने तथा परमसुख की प्राप्ति के लिए ही उन्होंने अपने प्रथम उपदेश ‘धर्म्चाक्रप्रवातन’ में माध्यम मार्ग की देशना की ।
मुख्या वक्ता वनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के पालि एवं बौद्ध अध्ययन के विभागाध्यक्ष प्रो. बिमलेन्द्र कुमार ने कहा कि बुद्ध का आर्य अष्टांगिक मार्ग से लोक कल्याण सम्भव है । यह मार्ग शील, समाधि और प्रज्ञा से युक्त है । इस पर चलकर व्यक्ति भगवान द्वारा प्रज्ञप्त चारों आर्य सत्यों का साक्षात्कार कर सकता है ।
विशिष्ट अतिथि गोल्डन माउन्टेन टेम्पल, ताईवान के विहाराधिपति डॉ. भिक्षु तेजवरो थेरो ने कहा कि धम्मचक्कपवत्तन के कारण ही वह अविद्या रूपी अन्धकार को मिटाकर प्रज्ञारुपी प्रकाश को फैला दें । जिससे समाज में विषमता, द्वेष, क्रोध और अहंकार का विनाश हो जाता है तथा उसके स्थान पर मैत्री, करूणा, मुदिता तथा उपेक्षा का सद्धर्म फैलता है ।
आशीर्वचन प्रदान करते हुए महाबोधि सोसायटी ऑफ़ इंडिया के संयुक्त सचिव भिक्षु डॉ. मेधांकर थेरो ने कहा कि दुःख सार्वजनीन है । बुद्ध ने दुःख का कारण तृष्णा को बतलाया है । तृष्णा को नष्ट करके ही दुःख से मुक्ति सम्भव है ।
कार्यक्रम का आरम्भ भिक्खु ज्ञानालोक थेरो (विहाराधिपति – बुद्ध विहार, रिसालदार पार्क, लखनऊ) तथा भिक्षु डॉ. धर्मप्रिय थेरो (पालि लेक्चरर- महाबोधि इंटर कालेज, सारनाथ) द्वारा की वंदना से हुआ ।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. भिक्षु नन्द रतन थेरो – सचिव पालि सोसायटी ऑफ़ इंडिया तथा विहाराधिपति- श्री लंका बुद्ध विहार, कुशीनगर ने किया । संयोजक- भिक्खु
नन्द रतन थेरो, कुशीनगर
*कुशीनगर जिले से मोहन वर्मा की रिपोर्ट मो नंबर 9415304059*