मन को परमानंद की ओर लगाने से मिलती है जीव को मुक्ति : आचार्य विनय
– श्रीमद्भागवत कथा का छठवां दिन
– इंद्रियों व कामनाओं के दमन से जीवात्मा बन जाता है सुदामा
– कलियुग के उत्तरार्ध में भगवान कल्कि का अवतार करेगा संसार का कल्याण
शास्त्र सम्मत आचरण करते हुए इंद्रियों व कामनाओं के दमन से जीवात्मा सुदामा बन जाता है। तब बुद्धि सुशीला बन जाती है और जीवात्मा को भगवान की ओर प्रेरित करतीं है। यह बातें तुर्कपट्टी थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत कोरया में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन सोमवार की सायं श्रोताओं को सुदामा चरित्र सुनाते भागवत कथा विशेषज्ञ आचार्य विनय पांडेय ने कही। कथावाचक ने कहा कि यह सुदामा चरित्र से सिद्ध होता है। मन ही बंधन और मोक्ष का कारण है, यदि मन को विषयानंद में लगाएंगे तो बंधन है व परमानंद की ओर लगाएंगे तो मुक्ति मिलती है। श्रीमद् भागवत कथा सुनने से जीव को निर्भय होकर परस्पर प्रेम भाव व हर प्राणी में भगवत दर्शन का फल प्राप्त होता है। उन्होंने बताया कि जब कलियुग 800 वर्ष शेष रहेगा तो भगवान कल्कि अवतार लेकर संसार का कल्याण कर धर्म की स्थापना करेंगे। संगीतमयी कथा में पंकज त्रिपाठी (आर्गन), रमेश श्रीवास्तव (हारमोनियम) व कमलेश दास (तबला) ने संगीत पर संगत की। पं.दीपक शास्त्री व पं. अमरनाथ मिश्र ने परायण पाठ किया। आयोजक वन्दना देवी, नन्द पाठक, मुख्तार पाठक, पं अच्युतानंद पांडेय, पं लल्लन मिश्र, अजय उर्फ पट्टू तिवारी, बाबूराम वर्मा, संत रवींद्र सिंह, श्रीराम पाठक, नीरज पाठक, टुन्नु शाही, सोनू शाही, उमाशंकर पाठक, उपेंद्र पाठक, ओम पाठक, कल्पनाथ, मेनका, लीलावती, कमला देवी, सोहिला, नूपूल, पलक, श्वेता, आरती, नीलू, रंभा, मुन्ना पाठक, पं लल्लन मिश्र, विवेक तिवारी, खेदारू पटेल, रामचंद्र ठाकुर, गिरीश तिवारी, सुभाष यादव, रामलाल रौनियार आदि उपस्थित रहे।