झांकी सहित कृष्ण-रुक्मिणी विवाह का सुनाया प्रसंग
– कृष्ण बाललीला प्रसंग सुन हर्षित हुए श्रोता
– अविद्या व वासना ही है पूतना : आचार्य विनय
अविद्या व वासना ही पूतना है। यह मानव के अंदर रहते हैं और परमात्मा अवतार लेकर जीव के अविद्या का अंत करते हैं। जीव जब अपना सांसारिक आवरण हटाकर ब्रह्म से संबंध जोड़ता है तो भगवान उसे महारास के बहाने अपने हृदय में स्थान देते हैं। यह बातें तुर्कपट्टी थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत कोरया में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन रविवार की सायं भागवत कथा विशेषज्ञ आचार्य विनय पांडेय ने कृष्ण बाललीला प्रसंग का वर्णन करते हुए कही। कथावाचक ने गोवर्धन लीला, गोचारण , कालिया नाग को रमणक द्वीप भेजने, आदि प्रसंगों पर प्रकाश डालते हुए कंस व कालयवन के अंत, द्वारिकापुरी का निर्माण कराकर द्वारिकाधीश बनने का प्रसंग सुनाया। कथावाचक ने कहा कि ठीक पच्चीस वर्ष की अवस्था में श्रीकृष्ण का विवाह साक्षात लक्ष्मी स्वरूपा रूक्मिणी के साथ संपन्न हुआ। मनमोहक झांकी के साथ कथा पांडाल में विवाहोत्सव मनाया गया। प्रधान प्रतिनिधि टून्नु शाही, सचिव अजय उर्फ पट्टू तिवारी, पत्रकार सुरेंद्रनाथ राय, धनन्जय मिश्र, कृष्णा ओझा आदि ने व्यास पीठ का पूजन कर कथा का शुभारंभ कराया। पंकज त्रिपाठी (आर्गन), रमेश श्रीवास्तव (हारमोनियम) व कमलेश दास (तबला) ने संगीत पर संगत की। पं.दीपक शास्त्री व पं. अमरनाथ मिश्र ने परायण पाठ किया। आयोजक वन्दना देवी, नन्द पाठक, मुख्तार पाठक, बाबूराम वर्मा, संत रवींद्र सिंह, श्रीराम पाठक, नीरज पाठक, टुन्नु शाही, सोनू शाही, उमाशंकर पाठक, उपेंद्र पाठक, ओम पाठक, कल्पनाथ, मेनका, लीलावती, कमला देवी, सोहिला, नूपूल, पलक, श्वेता, आरती, नीलू, रंभा, मुन्ना पाठक, पं लल्लन मिश्र, विवेक तिवारी, खेदारू पटेल, रामचंद्र ठाकुर, गिरीश तिवारी, सुभाष यादव, रामलाल रौनियार आदि
आदि उपस्थित रहे।