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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जनता से होने लगे रूबरू। पढे पूरी खबर

बीजेपी के प्रवक्ता सीए ओपी मिश्र व नवीन श्रीवास्तव बने इसके प्रथम पुरोधा
दिन में चार से पांच बार जुड़ते हैं लोगों से और सुनते हैं समस्या, करते हैं समाधान

गोरखपुर। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या विवादित नेता अमर सिंह। कांग्रेस के पूर्व विदेश मंत्री शशि थरूर तो इस माध्यम के महारथी ही माने जाते हैं। यहां तक कि वह सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर पर सरकार की नीतियों की आलोचना करने पर पार्टी मुखिया से भी खरी-खोटी सुन चुके हैं। बीजेपी के दिग्गज नेता और राज्यसभा सांसद डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी भी इंटरनेट माध्यम से खासी धमक बना चुके हैं। इन्हीं नेताओं से सीख लेते हुए यूपी बीजेपी के दो नेताओं ने इंटरनेट को जनता से जुड़ने का प्रमुख माध्यम बनाया। वह रोज क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्तियों, जनप्रतिनिधियों और आम जनता से वीडियो कॉऩ्फ्रेंसिंग की तरह जुड़ते हैं और उनकी समस्याओं को सुनते हैं। ये दोनों नेता हैं, यूपी बीजेपी के मीडिया पैनलिस्ट सीए ओपी मिश्र और सह संगठन प्रमुख नवीन श्रीवास्तव। दोनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील ‘जान भी जहान भी’ का पूरी तरह से पालन करते हुए क्षेत्र और प्रदेश के विभिन्न जगहों पर लोगों के जुड़ रहे हैं। वह कार्यकर्ताओं की परेशानी भी सुनते हैं और उनकी समस्या का निवारण करते हैं।सीए ओपी मिश्र कहते हैं कि देश की राजधानी दिल्ली में अकेले रहने के कारण कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। सोशल मीडिया पर समय नहीं कट रहा था, तभी अचानक ख्याल आया कि जिस तरह से मीडिया के लोग ऑनलाइन हम लोगों से कनेक्ट हो रहे हैं, उसी तर्ज पर हम क्षेत्र की जनता से कनेक्ट हों। फोन उठाया क्षेत्र के 10 लोगों के बात हुई और व्हाट्सऐप पर ग्रुप वीडियो कॉल में दो बार चार-चार लोग कनेक्ट हुए। उसके बाद यह एक तरह से दिनचर्या में शामिल हो गया और मैं अब बिना किसी अतिरिक्त श्रम और व्यय के इस संकट काल में क्षेत्र की जनता से जुड़ गया हूं।वहीं सह-संगठन प्रमुख नवीन श्रीवास्तव कहते हैं कि पूरा देश संकट में है, तो अपनों की चिंता कैसे नहीं होगी? सामाजिक जीवन होने के नाते पूरे सूबे के कार्यकर्ता और सहयोगी हमसे जुड़े हैं। अब वीडियो कॉल करके उनकी समस्याओं को सुनने के बाद बड़ा सुकून मिलता है। इससे दोनों काम हो रहे हैं, पहला- सोशल डिस्टेंसिंग और ‘घर में रहें सुरक्षित रहें’ का पालन भी हो रहा है। दूसरा- अपने लोग कैसे हैं, किस हाल में हैं वो जान के बड़ा अच्छा लग रहा है। प्रतिदिन की तरह कल भी वीडियो कॉंफ़्रेंस से गाधिपुरी भाजपा के प्रमुख कार्यकर्ताओं के साथ कोरोना के खिलाफ संघर्ष में पार्टी के योगदान की समीक्षा की। जिलाध्यक्ष भानु ने अन्य विषयों के अतिरिक्त गेहूँ की खरीद में किसान के हितों का ध्यान देने की बात बताई तो उन्हें उचित दिशा निर्देश दिए।सचिवालय में लगी आग, महत्वपूर्ण फाइलें जलकर खाक
सोशल मीडिया के माध्यम से नेताओं को क्या फायदा होता के जवाब में सोशल मीडिया एलालिस्ट अनूप मिश्र कहते हैं कि पढ़ा-लिखा मध्यम वर्ग आगे बढ़ रहा है। वह जनमत को भी प्रभावित कर रहा है, ऐसे में उस तक पहुंचने के लिए रैलियां और बैठकें जैसे पारपंरिक तरीक़े अब कारगर नहीं रहे, लेकिन इंटरनेट साइटों पर नेताओं को नौजवान लोगों के सवालों के जवाब देने पड़ते हैं, तो यह असरदार है। लखनऊ विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के प्रोफेसर राजेश मिश्र कहते हैं कि इंटरनेट का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने वालों में नेताओं की युवा ब्रिगेड ही शामिल नहीं है, बल्कि उम्रदराज और अनुभवी नेता भी इसकी अहमियत समझ रहे हैं। क्योंकि इससे उन युवा वोटरों तक भी पहुँचा जा सकता है, जिनके बारे में कहते हैं कि उनकी राजनीति में कोई खास दिलचस्पी नहीं है।वहीं वरिष्ठ पत्रकार हरीश मिश्र कहते हैं कि ज्यादा से ज़्यादा राजनेता अपनी छवि को चमकाने और अपनी बात लोगों तक पहुंचाने के लिए इंटरनेट का सहारा ले रहे हैं और ख़ासकर युवाओं को लुभा रहे हैं। पारपंरिक रूप से राजनेताओं तक आम लोगों की पहुँच वैसे भी कम ही रही है। ऐसे में ब्लॉगिंग, ट्विटर, फेसबुक के अलावा खासतौर से बनाई गई वेबसाइटों का चलन अच्छी शुरुआत है। इसके जरिए युवा लोग राजनीति का हिस्सा बन रहे हैं और लोकतंत्र को मजबूती मिल रही है। इसी बहाने नेता अपने कुछ कार्यकर्ता और क्षेत्रीय जनता को जान तो जा रहे हैं।


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