कोरोना काल में नवजात का रखें ध्यान, समय से कराएं टीकाकरण
– संक्रमण के मद्देनजर स्वच्छता बरतनी जरूरी
बेहतर चिकित्सा सुविधा के लिए आशा कार्यकर्ता व आंगनवाड़ी सेविका करेगी सहायता
रिपोर्ट:- रिया दुबे गोपालगंज
कोरोना काल में नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उनका सम्पूर्ण टीकाकरण करा कर उन्हें भविष्य में होने वाली कई बीमारियों से सुरक्षा प्रदान की जा सकती है। बच्चे के जन्म के पहले साल में लगने वाले टीके बहुत अहम होते हैं । ये टीके समय से दिए जाने बहुत जरूरी हैं। जन्म के समय लगने वाले बीसीजी, पोलियो और हेपेटाइटीस -बी के टीके प्रसव के बाद अस्पताल में ही दे दिये जाते हैं। कोविड-19 के कारण लोगों में डर भी बना हुआ है और वो अस्पताल या क्लीनिक में जाने से बच रहे हैं। पर टीकाकरण ना हो पाना नई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।
बच्चों को समय पर टीका लगना बेहद जरूरी
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ एसके विश्वकर्मा के मुताबिक बच्चों को समय पर टीका लगना बेहद जरूरी है। नियमित टीकाकरण ना होने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है। जिससे कई बीमारियों से ग्रसित होने का खतरा बना रहता है। टीकाकरण के साथ बच्चों के लिए सर्वोत्तम आहार मां का दूध होता है। दूध के सेवन से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है एवं शारीरिक व मानसिक विकास होता है।
टीकाकरण को लेकर बरती जा रही सतर्कता:
यूनिसेफ एसएमसी प्रमोद कुमार झा ने बताया जिले में टीकाकरण सत्रों पर कोविड-19 के नियमों का अनुपालन सख्ती से किया जा रहा है। आंगनबाड़ी केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल में टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। सभी जगह शारीरिक दूरी और साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जा रहा है ताकि किसी भी सूरत में कोई भी संक्रमित न हों।
बच्चों को समय से टीका देना क्यों जरूरी:
डीआईओ डॉ एसके विश्वकर्मा ने बताया किसी बीमारी के ख़िलाफ़ बच्चे के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए उसे टीका दिया जाता है। नवजात शिशु का शरीर वातावरण में मौजूद वायरस, बैक्टीरिया के हमले से अनजान होता है। टीकाकरण से खतरनाक बीमारियों के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है जो रोगों से शिशु का बचाव करता है।
मां में कोरोना के लक्षण होने पर स्तनपान के समय सतर्कता ज़रूरी:
नवजात शिशु के लिए मां का स्तनपान करना काफी जरूरी होता है। हालांकि, कोरोना वायरस श्वसन बूंदों के जरिए फैलता है जो स्तनपान के दौरान एक मां से उसके बच्चे में आसानी से प्रेषित हो सकता है। जिन माताओं में कोबिड के लक्षण की पुष्टि हो गई हो, संक्रमण के लक्षण उपस्थित हों, उन्हें बच्चे को स्तनपान कराते वक्त इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिए कि यह श्वसन बूंदों के जरिए शिशु में ना फैले। ऐसे में बच्चे को छूने से पहले हाथ धोना और स्तनपान करते समय फेस मास्क पहनना जैसे एहतियात शामिल हैं। अगर मां शिशु को स्तनपान करा रही है या हाथ से दूध निकाल रही है, तो उसे किसी भी बोतल या पंप के हिस्सों को छूने से पहले अपने हाथों को धोना चाहिए। अगर मां पूरी तरह स्वस्थ है तो वह शिशु को स्तनपान करा सकती है।
समस्या होने पर आंगनवाड़ी सेविका या आशा कार्यकर्ता से लें मदद:
किसी भी समय शिशु या मां के बीमार होने पर नजदीकी अस्पताल में संपर्क किया जा सकता है। वहां 24 घंटे चिकित्सक व कर्मियों की ड्यूटी रहती है। किसी प्रकार की शारीरिक समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेनी चाहिए। इसके अलावा निकट के आंगनवाड़ी केंद्र में जाकर सेविकाएं या आशा कार्यकर्ताओं की भी मदद ली जा सकती है। सम्पर्क करने पर वे मदद को आगे आएंगी एवं बेहतर चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराई जाएगी।
टीकाकरण सारणी का करें अनुपालन:
• जन्म पर – बीसीजी, ओरल पोलियो वैक्सीन और हैपेटाइटीस- बी
• छह हफ़्ते पर -पेंटावेलेंट
• 10 हफ़्तों पर – पेंटावेलेंट ओपीभी-2, रोटावायरस-2
• 14 हफ़्तों पर – पेंटावेलेंट, ओपीभी-3, रोटावायरस-3, आईपीभी-2, पीसीभी-2
• 9-12 महीनों पर – खसरा और रूबेला-1
• 16-24 महीनों पर – खसरा-2, डीपीटी बूस्टर-1, ओपीभी बूस्टर
• 5-6 साल – डीपीटी बूस्टर-2
• 10 साल – टेटनस टोक्सॉइड?/ टेटनस एंड एडल्ट डिप्थीरिया
• 16 साल -टेटनस टोक्सॉइड?/ टेटनस एंड एडल्ट डिप्थीरिया
कोरोना काल में इन उचित व्यवहारों का करें पालन
– एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
– सार्वजनिक जगहों पर हमेशा फेस कवर या मास्क पहनें।
– अपने हाथ को साबुन व पानी से लगातार धोएं।
– आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें।
– छींकते या खांसते वक्त मुंह को रूमाल से ढकें।