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हरियाली महोत्सव

युवाओं को हरित ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने में सक्षम बनाने वाले पेशों को, अपनाने की भावना को आत्मसत करने की ज़रूरत

भारत ने दुनिया को पर्यावरण, कोविड-19 जैसी समस्याओं में संसाधनों के समझदारी भरे रणनीतिक उपयोग का सार दिखाया है – एड किशन भावनानी

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर आज दुनिया का हर देश भारतीय लोगों की अभूतपूर्व बौद्धिक क्षमता का एहसास महसूस कर रहा है जिसके अनेक कारणों में से कुछ कारणों में सबसे महत्वपूर्ण कोविड-19, पर्यावरण सुरक्षा और कौशलता विकास में आई समस्याओं में संसाधनों का समझदारी भरे रणनीतिक उपयोग का सार दुनिया को दिखाया है कि, कैसे सीमित संसाधनों से 135 करोड़ जनसंख्या का इस भयंकर महामारी कोरोना और मानवीय जीवन को गंभीर बनाने वाले पर्यावरण क्षेत्र में जोरदार आगाज़ के साथ उपलब्धियां प्राप्त कर रहा है!! जिसका आगाज़ केंद्रीय परिवहन जलमार्ग मंत्री द्वारा दिनांक 8 जुलाई 2022 को अपने बयान में दावा किया कि आने वाले 5 वर्षों में देश में आपके वाहन पेट्रोल के बजाय ग्रीनफ्यूल पर ही दौड़ेंगे और पेट्रोल का उपयोग नहीं होगा!! ग्लासगो में कॉप-26 में की गई घोषणाओं लाइफस्टाइल ऑफ इन्वायरमेंट में हम खरे उतरने की दिशा में जोरदार कदम उठा रहे हैं।
साथियों बात अगर हम पर्यावरण जलवायु मंत्रालय द्वारा 8 जुलाई 2022 को मनाए गए हरियाली महोत्सव की करें तो इसके जरिए पर्यावरण सुरक्षा के प्रति देश के जोश को सेलिब्रेट किया गया और नागरिकों को जागरूक किया गया। कार्यक्रम में 75 नगर वनों, 75 पुलिस प्रतिष्ठानों के आस पास 75 किमी लंबी सड़क किनारे, दिल्ली के 75 स्कूलों में और देश भर की 75 डीग्रेड हो चुकी जगहों में वृक्षारोपण गतिविधियां की गईं, जो इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि लोग न सिर्फ इसका स्वागत कर रहे हैं बल्कि प्रकृतिके संरक्षण में हिस्सा लेने के इच्छुक।मेरा मानना है कि इस तरह का हरियाली महोत्सव रोज़ अलग-अलग क्षेत्रों में मनाने की जरूरत है।
साथियों बात अगर हम पर्यावरण मंत्री के संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने,1 जुलाई से सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंधके महत्व को रेखांकित किया और इसके पूर्ण कार्यान्वयन में देश के नागरिकों से साझा जिम्मेदारी का अनुरोध किया और उन्होंने उन प्रयासों के बारे में जानकारी भी दी जो पर्यावरण के अनुकूल टिकाऊ भविष्य के लिए वैकल्पिक समाधान निर्मित करने की दिशा में किए जा रहे हैं। भारत में समृद्ध जैव विविधता है और विभिन्न मानवजनित चुनौतियों का सामना करने के बावजूद ये देश 52 टाइगर रिजर्व और 31 हाथी रिजर्व और कई अन्य स्थानिक, जीवंत वन्यजीवों और समृद्ध जंगलों से संपन्न है।
सीओपी 26 में माननीय पीएम ने घोषणा की थी, उसी लीक पर चलते हुए 175 गीगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य देश द्वारा पहले ही हासिल कर लेने और 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा के निर्माण के नए लक्ष्य तक पहुंचने के लिए पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ने में राष्ट्र के प्रयासों की उन्होंने सराहना की। भारत ने 2030 तक अक्षय ऊर्जा से अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत हिस्सा पूरा करने के लिए प्रतिबद्धता जताई हुई है। उन्होंने पीएम द्वारा शुरू की गई मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की उपलब्धियों और लाभों को भी साझा किया। अब तक लगभग 23 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए जा चुके हैं जो मिट्टी के स्वास्थ्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सतत पर्यावरण को लेकर पीएम के आह्वान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि न सिर्फ हमें तरक्की करने, ऊर्जा प्रदान करने, लोगों को सम्मानजनक जीवन देने की जरूरत है, बल्कि साथ ही हमें पृथ्वी को बचाने का संकल्प लेने की जरूरत भी है। उन्होंने कहा कि भारत में दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी है, फिर भी उसके कार्बन उत्सर्जन का हिस्सा केवल 4 प्रतिशत है, वहीं अन्य विकसित देशों में इतने ही प्रतिशत वाली जनसंख्या का कार्बन उत्सर्जन लगभग 60 प्रतिशत है। इसलिए भारत ने दुनियाको संसाधनों के समझदारी भरे उपभोग का सार दिखाया है। उन्होंने बच्चों से अपील की कि वे ऐसे पेशे अपनाएं जिससे वे हरित ऊर्जा की दिशा में काम कर सकें।
साथियों बात अगर हम केंद्रीय परिवहन जलमार्ग मंत्री द्वारा दिनांक 8 जुलाई 2022 को एक कार्यक्रम में संबोधन की करें तो उन्होंने, दावा किया है कि आने वाले 5 सालों में देश में आपके वाहन पेट्रोल के बजाय ग्रीन फ्यूल पर दौड़ेंगे। उनके हवाले से कहा गया है कि अगले 5 वर्षों में देश में पेट्रोल का उपयोग नहीं होगा। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि महाराष्ट्र के विदर्भ जिले में बन रहे बायो-एथेनॉल का इस्तेमाल वाहनों में किया जा रहा है। उन्होंने हाल ही में देश के ऑटो इंडस्ट्री को पारंपरिक फ़्यूल (पेट्रोल-डीजल) के बजाय इथेनॉल, मेथनॉल, ग्रीन हाइड्रोजन और अन्य ईंधन विकल्पों वाले वाहनों के निर्माण पर जोर देने को कहा था। जिसके बाद होंडा मोटरसाइकिल स्कूटर इंडिया जैसी कंपनियां पेट्रोल के बजाय एथनॉल फ्यूल से चलने वाले वाहनों पर काम करना शुरू भी कर चुकी हैं।
उन्होनें कहा कि, पेट्रोल के लिए खर्च किए जाने वाले 115 रुपये प्रति लीटर की तुलना में, 65 रुपये प्रति लीटर पर इथेनॉल एक आम व्यक्ति के लिए एक बहुत ही लागत प्रभावी ईंधन साबित होगा। उन्होंने किसानों को केवल खाद्य प्रदाता ही नहीं, बल्कि ऊर्जा प्रदाता बनने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कोई भी किसान सिर्फ गेहूं, चावल, मक्का लगाकर अपना भविष्य नहीं बदल सकता। इसलिए उन्हें ऐसे फसलों पर भी काम करना चाहिए जिससे उर्जा की समस्या से भी निजात पाया जा सके। बता दें कि, उन्होंने इससे पहले भी कई बार अलग अलग मौकों पर पारंपरिक ईंधन (पेट्रोल-डीजल) पर निर्भरता कम करने और दूसरे ईंधन विकल्पों पर काम करने पर जोर दिया है। यानें केंद्रीय मंत्री द्वारा यह दावा किया जा रहा है किआने वाले समय में पेट्रोल का इस्तेमाल देश में लगभग खत्म होने वाला है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि हरियाली महोत्सव धूमधाम से मनाया गया, युवाओं को हरित ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने में सक्षम बनाने वाले पेशों को अपनाने की भावना को आत्मसत करने की ज़रूरत है। भारत ने दुनिया को पर्यावरण, कोविड-19 समस्याओं में संसाधनों को समझदारी भरे रणनीतिक उपयोग का सार दिया है।

*-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*


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