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बीते जमाने में कभी बैलगाड़ियां और डोली से आती थी दुल्हनियां, विलुप्त हुआ यह युग।

 

रिपोर्ट :- पन्ना लाल कुमार।

सारण :- परिवहन के साधन के रूप में बैलगाड़ी से ही मनुष्य ने एक कोने से दूसरे कोने तक की यात्राएं कीं।जहां राजमहलों, किलों और भवनों को बनाने के लिए निर्माण सामग्री बैलगाड़ी से ही ले जाए गए।लेकिन हमारी विरासत के ये अनमोल धरोहर अब विलुप्त होने की कगार पर हैं।

राजाओं से लेकर आम लोग कर चुके हैं इसकी सवारी-:

आपकों मालूम हो कि सभ्यता के विकास के साथ मनुष्य ने नए-नए प्रयोग करते हुए जीवन की गाड़ी को चलाने के लिए अनेक तरह के साधन और औजार विकसित किए।जहां हमारे पूर्वज हमेशा प्रकृति के साथ तादात्म्य बैठाकर विकास की राह पर आगे बढ़े। जब आज की तरह सड़कें नहीं थीं।जहां आधुनिक विकास का माहौल नहीं था तब मनुष्य ने बैलगाड़ी के सहारे दुनिया नाप ली।वहीं परिवहन के साधन के रूप में बैलगाड़ी से ही मनुष्य ने एक कोने से दूसरे कोने तक की यात्राएं कीं जहां राजमहलों, किलों और भवनों को बनाने के लिए निर्माण सामग्री बैलगाड़ी से ही ले जाए गए।लेकिन हमारी विरासत के ये अनमोल धरोहर अब विलुप्त होने की कगार पर हैं।

ना पेट्रोल की डर ना डीजल की जरूरत-:

बैलगाड़ी में न तो पेट्रोल-डीजल की जरूरत पड़ती थी और न ही इलेक्ट्रिक बैटरी की।यह गाड़ी बैलों से खींची जाती थी। इसीलिए इसका नाम बैलगाड़ी पड़ा।वहीं बुजुर्ग नागा पासवान के मुताबिक यह विश्व का सबसे पुराना यातायात और सामान ढोने का साधन है।पहिया मात्र बैलगाड़ी नहीं है बल्कि जीवन है जीवन जीने की युक्ति है।इन पहियों से जीवन की नई शुरुआत होती है। पहिया हमें संदेश देता है निरंतर चलते रहो।लकड़ी के ये पहिए आपको मंजिल तक पहुंचाते हैं। यह गांव गरीब की रेलगाड़ी है जो की बिना पेट्रोल के बिना इंजन की चलती है और बगैर बिजली के यहां तक कि बिना ड्राइवर के भी चलती है।

अब शादियों में बैलगाड़ी बना रहा है लोगों की रौनक-:

अब इसका इस्तेमाल नए युग के शादियों में आकर्षित ओर यादगार बनाने के लिए आजकल विशेष आयोजन किए जाते है। शजिससे शादी को खास ओर यादगार बनाने के लिए बैल गाड़ी में बारात लेकर दूल्हा दुल्हन की घर पहुंचते हैं।जहां आधुनिक युग में इस परंपरा को देखकर जो बुजुर्ग हैं उनका बीता पल ताजा हो जाता है।वहीं रामजी ने बताया कि जब बैलों की घुंघरू बजते थे तो लोगों का तन मन थिरकने पर मजबूर हो जाते थे।पहले युग में दुल्हन डोली या इसी बैलगाड़ी से चढ़कर आती थी लोगों का दुल्हन की आने के इंतजार रहता था पर अब तो चंद मिनटों में दुल्हन अपने ससुराल पहुंच जाती है।


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