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 सिसवन – परंपरागत तरीके से कूटे गए गोवर्धन भगवान।

 

रिपोर्ट:-अभय कुमार

सिवान:- प्रखण्ड क्षेत्र के सिसवन , घुरघाट ,चैनपुर,नयागांव,रामगढ़ सहित विभिन्न इलाकों तथा अलग-अलग मोहल्लों, देवस्थलों आदि पर निर्धारित स्थानों पर गाय के गोबर से गोधन भगवान की प्रतिमा बनाई गई। इसके लिए सुबह से ही महिलाओं, युवतियों आदि के आने का सिलसिला शुरू हो गया। इस पावन बेला में बहनों ने अपने भाइयों की सदैव रक्षा एवं लम्बी उम्र की कामना के साथ उपवास रखी ।इसके बाद पूजन-अर्चन का कार्यक्रम शुरू किया गया। महिलाएं थाली में भरूका में लाई, चना, घड़िय़ा, मिठाई, लाई धतूरा, भचकट्या आदि सामान लेकर पूजा स्थल पर पहुंची थी। बुजुर्ग महिलाओं की ओर से गोधन भगवान की कहानी तथा महत्व आदि सुनाया गया। साथ ही गोवर्धन के गीत गाए। गीत की वजह से मोहल्लों तथा गलियों में भक्ति का वातावरण बना रहा। इसके बाद परंपरागत तरीके से मूसल से गोधन की कुटाई की गई। पूजा संपन्न हो जाने के बाद महिलाएं वह थाली लेकर घर लौटीं।इस पर्व को लेकर घर- घर में उत्साह और खुशी का माहौल कायम रहा। इस मौके पर घरों में विशेष दालपूरी, गोझा आदि बनाया गया, जिसका सेवन पूजन के बाद किया गया।

क्या है गोवर्धन पुजा की धार्मिक मान्यता

सोमवार को भैया दूज का पर्व मनाया गया। परंपरा के मुताबिक गोधन पूजा की बेदी पर बहनें मिठाई, चना और भजकट्या पौधा रखती है तथा इसके पूर्व वह उसको काफी श्राप देती है। ऐसी मान्यता है कि पूजा के बाद यह सारा श्राप, वरदान के रूप में बदल जाता है। बहनें, भाइयों को तिलक लगाकर इस चढ़ाए हुए मिठाई तथा चने को खिलाती हैं तथा उनके बलिष्ठ और दीर्घायु होने की कामना करती है । भाई भी इस मौके पर बहनों को उपहार देते हैं। एक मान्यता के मुताबिक भाई- बहन साथ में मथुरा में स्नान करते हैं जिससे यमराज प्रसन्न हो कर मृत्युपरांत कष्ट नहीं देते हैं।


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